दरभंगा एअरपोर्ट की बदहाली पर आईआईटी मद्रास के भूतपूर्व प्राध्यापक ने लिखा संपादकों के नाम खुला ख़त

Former professor of IIT Madras wrote an open letter to the editors on the plight of Darbhanga airportचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: दरभंगा एअरपोर्ट की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। यहाँ के अधिकारीयों को यात्रियों को होनेवाली समस्याओं से कई बार अवगत कराने के बाद भी न तो एअरपोर्ट अथॉरिटी की तरफ से, न ही स्पाइसजेट की तरफ से समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया गया, जबकि दरभंगा एअरपोर्ट शुरू होने के बाद से ही देश में सबसे ज्यादा कमाई करनेवाले एअरपोर्ट में शामिल है।

अब आईआईटी मद्रास के भूतपूर्व प्राध्यापक श्रीश चौधरी ने मीडिया के संपादकों के नाम खुला ख़त लिखा है जिसमें सारी समस्याओं को विस्तार से बताया गया है। आईआईटी मद्रास के भूतपूर्व प्राध्यापक श्रीश चौधरी का ये चिट्ठी वायरल हो रहा है। चिट्ठी वायरल होने के बाद हो सकता है कि एअरपोर्ट अथॉरिटी और स्पाइसजेट के अधिकारीयों के कानों पर जूं रेंगे और वह यात्रियों को होनेवाले समस्याओं की तरफ ध्यान दें।

चिरौरी न्यूज़ आईआईटी मद्रास के भूतपूर्व प्राध्यापक श्रीश चौधरी के ख़त को यहाँ पब्लिश कर रहा है।

आदरणीय संपादक महोदय, दरभंगा हवाई अड्डा व्यस्त होता जा रहा है। कहा जाता है कि वहां 1 करोड़ रु. से अधिक का कारोबार नित्य हो रहा है,  7 या 8 विमान एवं कोई 1,500 यात्री वहां से नित्य आते जाते है। यद्यपि यात्री सुविधाओं का वहां सर्वथा अभाव है, तथापि उत्तर बिहार में इससे रोजगार के प्रत्यक्ष-पऱोक्ष नये अवसर बने हैं। सरकार इसके लिए धन्यवाद की पात्र  है। कुछ छोटी बातें हैं जिन्हें शीघ्र बदलना आवश्यक है। एयरफोर्स का हवाई अड्डा कहकर यात्रियों को अभी बाहर सड़क पर ही रोक दिया जाता है।

वहां से पैदल लगभग 700 – 800 मीटर  इन्हें चलकर टर्मिनल  तक आना होता है। अंदर की यह सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं है, उस पर सामान घसीटकर लाना, असमर्थ पैसेंजर के लिए टर्मिनल तक जाकर व्हीलचेयर लाना, तब तक उनको गेट पर खड़ा रखना, आदि एक निरर्थक अन्याय है। नागरिक उड़ानों की अनुमति में यह निहित है कि यात्री जैसे अन्य हवाई अड्डों तक जाते हैं, यहाँ भी जा पाएं।

उनको दूर सड़क पर ही रोक देना, वहाँ ट्रैफिक में वाधा पहुंचाना, अनुचित है। दरभंगा जैसे अधिक वर्षा,  गर्मी, सर्दी वाले क्षेत्र से सिर्फ हनीमून मनाने नये दंपत्ति ही नहीं,  वल्कि बूढ़े, बीमार, बच्चे भी, इलाज के लिए भी, हवाई यात्रा करते हैं, उनका क्या होगा? सरकारी अधिकारी, नेता, विमान कंपनी के कर्मचारी, आदि, अभी भी टर्मिनल तक सवारी में ही आते जाते हैं। सामान्य यात्री के साथ ही यह भेदभाव क्यों?

संबद्ध विभागों के अधिकारियों से प्रार्थना है कि यात्रियों को वह वे सुविधा अवश्य दें जो उन्हें अन्य किसी भी हवाई अड्डे पर उपलब्ध है। अपने पत्र में प्रकाशित कर कृपया हमारी विनती उपयुक्त अधिकारियों तक पहुंचाने में हमारी सहायता करें। धन्यवाद।

श्रीश चौधरी (भू.पू. प्राध्यापक, आईआईटी मद्रास), ग्राम: पिंडारूच जिला दरभंगा, बिहार 847306

 

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