खेल रत्न पाने का लक्ष्य: गूंगा पहलवान

राजेंद्र सजवान

डेफ ओलंपिक में तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक तथा डेफ विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीत चुके गूंगा पहलवान के GC नाम से प्रसिद्ध हरियाणा के विरेंदर सिंह को आखिर सरकार की तरफ से सम्मान मिलने जा रहा है और उन्हें इस वर्ष देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। सरकार ने इस वर्ष खेल क्षेत्र में सात लोगों को पद्मश्री देने की घोषणा की है जिसमे हरियाणा के गूंगा पहलवान भी शामिल हैं।

विरेंदर को सम्मान दिए जाने की घोषणा के बाद यहां गुरु हनुमान अखाड़े में कोच महा सिंह राव ,अर्जुन अवार्डी सुजित मान और राजीव तोमर ने अन्य पहलवानों के साथ उनका स्वागत किया। इस अवसर पर पहलवान ने कहा कि अब उसका लक्ष्य आगामी ओलंपिक और विश्व कप में खिताब जीतना और राजीव गांधी खेल रत्न पाना है।

गूंगा पहलवान को पद्मश्री दिए जाने की घोषणा पर गूंगा पहलवान के घर में ख़ुशी का माहौल है। विरेंदर के कोच रह चुके द्रोणाचार्य अवार्डी और गुरु हनुमान अखाड़े के संचालक महासिंह राव ने कहा कि उन्होंने गूंगा पहलवान के घर में बात की और सभी इस बात से खुश हैं कि उसे पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। महासिंह ने कहा कि यह एक अच्छा फैसला है और इसका डेफ पहलवानों में सकारात्मक संकेत जाएगा कि मेहनत का फल अंत में मीठा होता है और सही परिणाम सामने आता है। उन्होंने कहा कि विरेंदर ने अपने करियर में अनेक सफलताएं हासिल कीं और देश का नाम रौशन किया।

गूंगा पहलवान ने पिछले साल देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री किरेन रिजिजू से गुहार लगाई थी। उन्हें पिछले साल खेल रत्न तो नहीं मिल पाया लेकिन उन्हें इस साल पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।

हरियाणा के झज्जर जिले के विरेंदर ने 2005 डेफ ओलंपिक मेलबोर्न में 84 किग्रा में स्वर्ण, 2013 डेफ ओलंपिक बुल्गारिया में 74 किग्रा में स्वर्ण, 2017 डेफ ओलंपिक तुर्की में 74 किग्रा में स्वर्ण और 2009 डेफ ओलंपिक ताइवान में 84 किग्रा में कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा उन्होंने 2008 डेफ विश्व चैंपियनशिप में रजत, 2012 डेफ विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और 2016 डेफ विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। महा सिंह का मानना है कि पद्मश्री मिलने का सीधा सा मतलब है कि अब विरेंदर के प्रदर्शन और उपलब्धियों को सरकारी मान्यता मिल गई है और उसके लिए राजीव गांधी खेल अवार्ड पाने का रास्ता आसान हो गया है।

 

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