5 अगस्त को लाला अमरनाथ की 20वीं पुण्य तिथि पर विशेष: 60 वर्ष पूर्व 12वें खिलाड़ी से बल्लेबाजी कराने वाले लाला

राकेश थपलियाल
आज टेस्ट क्रिकेट में 12वां खिलाड़ी बल्लेबाजी कर सकता है। आईसीसी ने कोविड-19 महामारी के कारण अंतरिम तौर पर इसकी अनुमति दी है। कुछ वर्ष पूर्व प्रयोग के तौर पर वनडे क्रिकेट में भी 12वें खिलाड़ी को बल्लेबाजी करने की छूट दी गई थी। वैसे इस परंपरा की शुरुआत करने का श्रेय दिल्लीवासी भरत के पूर्व कप्तान और अपने समय के सबसे विवादास्पद क्रिकेटर लाला अमरनाथ को जाता है। उन्होंने पहाड़गंज में अपने घर से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित करनैल सिंह स्टेडियम में 1960 में खेले गए प्रथम ईरानी कप मैच में 12वें खिलाड़ी से बल्लेबाजी करा दी थी। प्रथम श्रेणी की क्रिकेट में ऐसा पहली बार हुआ था।
आज लाला अमरनाथ की 20वीं पुण्यतिथि है। दिल्ली में 5 अगस्त, 2000 को 88 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ था। नानिक अमरनाथ भरद्वाज क्रिकेट में लाला अमरनाथ के नाम से मशहूर हुए।
18 से 20 मार्च,1960 को खेले गए प्रथम ईरानी कप क्रिकेट मैच में लाला ने रेस्ट ऑफ़ इंडिया टीम की तरफ से रणजी चैंपियन बम्बई के खिलाफ ‘12वें खिलाड़ी’ दिल्ली के क्रिकेटर प्रेम भाटिया से बल्लेबाजी करवा दी थी। तब बम्बई के कप्तान पॉली उमरीगर थे और रेस्ट ऑफ़ इंडिया के कप्तान लाला अमरनाथ थे। लाला जी तब राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष भी थे।
60 वर्ष पुरानी यह घटना प्रथम श्रेणी की क्रिकेट का अनूठा इतिहास है। इस घटना के साक्षात गवाह रहे जाने माने खेल पत्रकार स्वर्गीय कमलेश थपलियाल ने बताया था, ‘जब प्रेम भाटिया बल्लेबाजी के लिए उतरे तो सभी हैरान रह गए और पॉली उमरीगर उन्हें पिच से पवैलियन की तरफ वाली बाउंड्री तक लेकर गए और उन्होंने लाला जी से पूछा, ‘स्कीपर डू यू वांट हिम तो बैट?’ इस पर लाला जी ने कहा, ‘यस ही विल बैट इन माई प्लेस।’ इस ‘आदेश’ के बाद उमरीगर और मैच के अंपायर भी कुछ नहीं बोल सके।’
इस घटना से जुड़े अहम किरदार दिल्ली के पूर्व रणजी खिलाड़ी प्रेम भाटिया ने बताया, ‘ईरानी कप का नाम सुनते ही मेरी आंखों के आगे वह मंजर घूम जाता है। हालांकि इतनी पुरानी घटना को याद रखना आसान नहीं होता है। लोग कुछ भी कहें, मैं इसे लाला जी की दूरंदेशी ही मानता हूं। उन्होंने जो प्रयोग उस समय किया था, उसे कुछ वर्ष पूर्व वनडे मैचों में आईसीसी ने भी प्रयोग के तौर पर अपनाया था।’ क्या यह सब पहले से तय था? इस पर प्रेम भाटिया ने कहा, ‘नहीं, मैच के दौरान लाला जी के पैर में चोट लग गई थी और उन्होंने अचानक ही मुझे बल्लेबाजी करने का फरमान सुनाया था। इससे मैं भी आश्चर्यचकित रह गया था। मैं उस समय 20 वर्ष का कॉलेज का छात्र था और मेरे लिए यह एक अद्भुत क्षण था।’
इस मैच में भाटिया ने पहली पारी में नौवें नंबर पर उतरकर 22 और दूसरी पारी में तीसरे नंबर पर उतरकर 50 रन बनाए थे।
लाला अमरनाथ ने 1933-34 में भारत आई इंग्लैंड की टीम के खिलाफ बम्बई में खेले गए भारत की धरती के इस पहले टेस्ट में पदार्पण कर दूसरी पारी में 118 रन बनाकर भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट में पहला शतक ठोकने का अनूठा गौरव पाया था। 1936 में महाराज कुमार आफ विजयनगरम् ‘विज्जी’ की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई थी। वहां पर लाला और विज्जी के बीच इस कदर ठनी की लाला को दौरे के बीच से ही स्वदेश वापस भज दिया गया। उन पर ‘बैड ब्वॉय आफ इंडियन क्रिकेट’ का ठप्पा भी लग गया था।
लाला जी ने 1933 से 1952 के बीच 24 टेस्ट खेले और 878 रन बनाए। जिसमें एक शतक और 4 अर्धशतक शामिल हैं। उनके नाम 45 विकेट भी हैं। उनके दो बेटे सुरिंदर और मोहिंदर टेस्ट क्रिकेटर रहे और तीसरा बेटा राजिंदर रणजी ट्रॉफी तक सीमित रहा।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और विश्लेषक हैं। चिरौरी न्यूज का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है)  

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