पाक सेना और आतंकवाद का गठजोड़ बेनकाब, ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त ने दिखाई तस्वीर

The nexus between Pak army and terrorism exposed, Indian High Commissioner in Britain shows the pictureचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारत के ब्रिटेन में उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को सरकारी समर्थन देने के पुख्ता सबूत पेश करते हुए एक चौंकाने वाली तस्वीर ब्रिटिश न्यूज़ चैनल Sky News पर साझा की। यह तस्वीर, जो भारत सरकार ने नई दिल्ली में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भी साझा की थी, में अमेरिकी प्रतिबंधित आतंकवादी हाफिज अब्दुर रऊफ को पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के साथ देखा जा सकता है — वो भी ऐसे आतंकियों के जनाज़े में, जिन्हें भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मार गिराया था।

“यह तस्वीर कल की है,” दोराईस्वामी ने लाइव इंटरव्यू के दौरान कहा। “यहां जो व्यक्ति खड़ा है, उसका नाम हाफिज अब्दुर रऊफ है — वह अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी है और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर का भाई है। उसके पीछे कौन खड़ा है? पाकिस्तानी सेना। इन ताबूतों को देखिए — पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा लहराया जा रहा है। जब आतंकियों को राज्य-सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिया जाता है, तो वह देश क्या संदेश दे रहा है?”

भारत द्वारा साझा की गई यह तस्वीर दशकों पुरानी उस दलील को फिर से प्रमाणित करती है जिसमें भारत ने कहा है कि पाकिस्तान की सेना न केवल आतंकियों को पनाह देती है, बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से समर्थन भी देती है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। ये हमले 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किए गए, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।

इन हमलों का एक बड़ा लक्ष्य बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था, जिसे भारतीय खुफिया एजेंसियां लंबे समय से आतंकवाद का गढ़ मानती रही हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मसूद अज़हर के भाई अब्दुल रऊफ अज़हर की तस्वीर पर “ELIMINATED” की मोहर के साथ एक ग्राफिक सोशल मीडिया पर जारी किया।

अब्दुल रऊफ अज़हर कई बड़े आतंकी हमलों में शामिल रहा था — जिनमें 1999 का कंधार विमान अपहरण, 2001 का संसद हमला और 2016 का पठानकोट वायुसेना अड्डा हमला शामिल हैं। IC-814 विमान अपहरण के दौरान भारत को तीन खतरनाक आतंकियों को छोड़ना पड़ा था, जिनमें खुद मसूद अज़हर भी शामिल था।

दोराईस्वामी ने पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय जांच की मांगों को ढकोसला करार देते हुए कहा कि भारत ने 2016 में पाकिस्तानी जांचकर्ताओं को पठानकोट एयरबेस तक पहुंच दी थी, लेकिन पाकिस्तान ने इस सद्भावना का कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने 2008 के मुंबई हमलों का भी हवाला दिया, जहां पाकिस्तान को ठोस सबूत सौंपे गए थे, लेकिन उन्हें या तो नजरअंदाज कर दिया गया या फिर भटका दिया गया।

“पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर नीयत और नीति दोनों पर अब कोई संदेह नहीं रह जाता,” दोराईस्वामी ने कहा।

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