विश्वास खो चुकी SGFI पर देश के स्कूली खेलों का दारोमदार

राजेंद्र सजवान

स्कूल गेम्स फ़ेडरेशन आफ इंडिया(एसजीएफआई) के चुनाओं में वही हुआ जोकि अब तक होता आया । अर्थात हमेशा की तरह इस बार भी सभी पदाधिकारी चार साल के लिए निर्विरोध चुने गए। यह हैरानी वाली बात नहीं है, क्योंकि इस संस्था का चरित्र ही कुछ ऐसा है। तारीफ की बात यह है कि देश का खेल भविष्य ऐसी संस्था पर टिका है, जोकि खुद टिकाऊ नहीं है।

आरोप है कि खिलाड़ियों का भविष्य बिगाड़ने में एसजीएफआई की भूमिका अग्रणी रही है। ज़ाहिर है इस संस्था को चलाने वाले एक गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं, जिनका नेतृत्व एक ऐसे महाशय के हाथ में है जोकि मौके की नज़ाकत को देखते हुए एसजीएफआई का सीईओ बन बैठे हैं। उसने बाक़ायदा क़ानूनी दावपेंचों के साथ फिर से इस राष्ट्रीय स्कूली इकाई को अपनी बपौती बनाने का पक्का जुगाड़ कर लिया है। ये श्रीमान राजेश मिश्रा हैं जिन पर दोहरे ओलंपिक पदक विजेता और निवर्तमान अध्यक्ष सुशील कुमार ने धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं।

निर्विरोध चुने गए शीर्ष पदाधिकारियों में अंडमान के शिक्षा निदेशक वी रंजीथ कुमार अध्यक्ष हैं। महासचिव मध्यप्रदेश के आलोक खरे और कोषाध्यक्ष विद्यभारती के मुख़्तेज सिंह बदेशा बने हैं। दरअसल, एक जनहित याचिका के चलते लगभग 57 खेल संगठनों की मान्यता लंबे समय तक रुकी हुई थी। उच्च न्यायालय ने बाक़ायदा एक आदेश द्वारा सभी संगठनों को 31 दिसंबर तक अपने चुनाव कराने का निर्देश जारी किया था और दो दिन पहले खानापूरी कर एसजीएफआई ने खेल मंत्रालय के प्रतिबंध से खुद को बचा लिया है।

नये अध्यक्ष रंजीथ ने क्लीन बोल्ड के साथ बड़े ही बोल्ड तरीके से अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि उनका सबसे पहला काम अपनी संस्था की छवि को सुधारने का होगा। उन्होने माना कि बीते सालों में उम्र की धोखाधड़ी, मिली भगत, खिलाड़ियों के यौन शोषण और अन्य कई आरोप लगे लेकिन चुनावों के चलते सभी ने यह स्वीकार किया कि अब बदलाव का वक्त आ गया है। देश के स्कूली खेलों का स्तर सुधारने और और पारदर्शिता को बढ़ावा देना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।

रंजीथ खुद हॉकी, फुटबाल और बैडमिंटन में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं। वह पिछले 16 सालों से एसजीएफआई के उपाध्यक्ष थे और ऐसा पहली बार हुआ जब कोई दक्षिण भारतीय अध्यक्ष बना हो। वह मानते हैं कि उन पर देश के स्कूली खेलों को सजाने संवारने की बड़ी ज़िम्मेदारी रहेगी, जिसे वह ईमानदारी के साथ निभाना चाहते हैं। सुशील द्वारा पूर्व सचिव और अब सीईओ बन बैठे मिश्रा पर लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर अध्यक्ष ने कहा कि यह फ़ेडेरेशन का अंदरूनी मामला है जिसे मिल बैठ कर सुलझाने का प्रयास करेंगे। उन्हें लगता है कि उनके बीच किसी कारण से ग़लत फ़हमी हुई है, जिसे दूर करने के लिए उनसे बातचीत करेंगे।

रंजीथ ने माना कि कोविड 19 ने स्कूली खेलों को बड़ा नुकसान पहुँचाया है, जिसकी भरपाई के लिए कड़ी मेहनत और बेहतर योजना की ज़रूरत है। उनकी राय में सबसे बड़ी चुनौती स्कूली खेलों को मुख्य धारा से जोड़ने की रहेगी, जिसमें कुछ समय लग सकता है। उम्र की धोखाधड़ी को रोकने, कोच और अधिकारियों द्वारा की जा रही धाँधली पर अंकुश लगाने की दिशा में भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्हें उम्मीद है कि एक बेहद अनुभवी टीम को साथ लेकर वह तमाम अनियमितताओं पर जीत हासिल कर पाएँगे। वह भारत में अधिकाधिक आयोजन करने के पक्षधर हैं ताकि हमारे खिलाड़ियों को एक्सपोजर मिल सके।

निर्विरोध चुने गए पदाधिकारिओं के नाम इस प्रकार हैं:
अध्यक्ष: वी रंजीथ कुमार (अंडमान निकोबार द्वीप समूह)
उपाध्यक्ष : डॉ सलीम उर रेहमान (जम्मू कश्मीर)
उपाध्यक्ष: के राम रेड्डी (तेलंगाना)
उपाध्यक्ष: एच सिंगलूरा (मिजोरम)
उपाध्यक्ष: उर्मिला राणा (उत्तराखंड)
उपाध्यक्ष: दिलीप यादव (पश्चिम बंगाल)
उपाध्यक्ष: वी सिंह (डीएवी)
उपाध्यक्ष: ए अनादान (पुड्डुचेरी)
उपाध्यक्ष: प्रदीप कुमार (सीबीएसई वेलफेयर)
महासचिव: अलोक खरे (मध्य प्रदेश)
संयुक्त सचिव: बी एस अनंथा नायक (कर्नाटक)
संयुक्त सचिव: भाग राम होता (हिमाचल प्रदेश)
संयुक्त सचिव: एम् वासु (तमिलनाडु)
संयुक्त सचिव: अनिल कुमार मिश्रा (छत्तीसगढ़)
संयुक्त सचिव: बलविंदर सिंह (चंडीगढ़)
संयुक्त सचिव: राजेंदर सिंह (हरियाना)
संयुक्त सचिव: बीनू अशोकन (केवीएस)
महासचिव: अलोक खरे (मध्य प्रदेश)
कोषाध्यक्ष: मुख्तेज सिंह बदेशा (विद्या भारती)

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं .)

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